अमरनाथ के शिवलिंग के पीछे का विज्ञान


कीजिये दर्शन बाबा बर्फानी के। हर वर्ष गर्मियों में ये शिवलिंग बनता है और मुख्यतः दो महीनो जुलाई और अगस्त तक हजारों श्रद्धालु इस चमत्कारी शिवलिंग के दर्शन करने जाते हैं। 

पर क्या आपको पता है की ये शिवलिंग किसी ईश्वरीय चमत्कार और भोले बाबा की कृपा का नतीजा नहीं बल्कि एक कुदरती घटना के कारण बनता है। इसे समझने के लिए आईये थोड़ा सा विज्ञान पढ़ लें। 
जल एक ऐसा पदार्थ है जो ठोस, तरल और गैस तीनों अवस्थाओ में पाया जाता है। अगर पानी का तापमान शुन्य डिग्री सेन्टीग्रेट से कम हो तो वो ठोस अवस्था अर्थात बर्फ के रूप में होता है। अगर पानी का तापमान शुन्य से 100 डिग्री सेन्टीग्रेट के बीच में हो तो वो तरल अवस्था में होता है और अगर तापमान 100 डिग्री सेन्टीग्रेट से ज्यादा हो तो वो गैसीय अवस्था अर्थात भाफ में बदल जाता है।
अमरनाथ की इस गुफा में तरल अवस्था में पानी जब ठन्डे फर्श पर गिरता है तब उसका तापमान शुन्य से नीचे गिर जाता है और वो ठोस अवस्था अर्थात बर्फ में बदल जाता है। जैसे आपके फ्रिज में रखा पानी थोड़ी ही देर में बर्फ बन जाता है। गुफा के ऊपरी हिस्से जहां से पानी गिरता है वहां तापमान शुन्य से थोड़ा ज्यादा और निचे के फर्श का तापमान शुन्य से थोड़ा से कम होने की वजह से जब पानी की बुँदे लगातार नीचे टपकती हैं तो उनके जमने के कारण इस स्थान पर शिवलिंग बनता है। जहां भी ऐसी अवस्था पैदा होगी वहां पर शिवलिंग बनेगा। 
अब सवाल उठता है की अगर शिवलिंग ईश्वर के चमत्कार से नहीं बनता तो और किसी जगह शिवलिंग क्यों नहीं बनते ?
इसका जवाब है कि और जगह भी शिवलिंग बनते हैं। कहीं-कहीं छोटे तो कहीं-कहीं तो अमरनाथ वाले शिवलिंग से भी कई गुना बड़े बड़े शिवलिंग बनते हैं। तो आइये उन शिवलिंगों के भी दर्शन कर लें -


ऐस्रीएसएनवेल्ट की गुफा में


यह गुफा (Eisriesenwelt ice cave) ऑस्ट्रिया के वर्फिन में है। यहां वाले शंकर जी अमरनाथ वाले शंकर जी की तुलना में काफी विशाल हैं। पर अफसोस उन्हें कोई पूजता नहीं। लोग जाते हैं यहां भी लेकिन श्रद्धालु के तौर पर नहीं, बल्कि टूरिस्ट के तौर पर। अफसोस वे मुर्ख 'ओम नमः शिवाय' भी नहीं कहते। बस 'wow, amazing' आदि जैसे मंत्रों का जाप करते हैं। ये रहा वहाँ का एक और शिवलिंग 🔻

आपको यह जानकर और भी गुस्सा आ सकता है कि ऐसी पवित्र जगह को जहां शिव जी बारहो मास मौजूद होते हैं उसे स्थानीय लोग कभी नरक का दरवाजा मानते थे। और वहां जाने से डरते थे। लेकिन 137 बरस पहले एक वैज्ञानिक हुआ Anton Posselt, नरक के द्वार में गया और लम्बे समय तक वहां शोध करता रहा। तब उसने उन कारणों के बारे में बताया जिसकी वजह से वहां शिवलिंग जैसी आकृति बन जाती है या भगवान शिव प्रकट हो जाते हैं। तब से स्थानीय लोगों ने इसे टूरिज्म के द्वारा पैसे कमाने का धंधा बना लिया। शिव जी की वहां कोई इज्जत नहीं। ये रहा एक और फोटो उस गुफा का 🔻 

अलास्का की गुफा में 

अलस्का की ठंडी गुफाओं में भी कई बड़े आकार के शिवलिंग देखे जा सकते हैं, कई टूरिस्ट वहाँ जा कर इसके दर्शन करते हैं पर किसी धार्मिक भावना से नहीं बल्कि घूमने फिरने। 🔻

ऊपर की फोटो जनेऊ, अलास्का (यूनाइटेड स्टेट ) की एक गुफा की है जिसमे एक बड़े आकर के शिव जी के दर्शन किये जा सकते हैं।  इस फोटो को एक टूरिस्ट Joseph ने अपने अलास्का के टूर में खिंचा था।

आपके रेफ्रिजरेटर के फ्रिजर में 

यदि आपके फ्रिज में थोड़ी दिक्कत हो जिससे फ्रिजर को गैस ज्यादा मिल रही हो तो बहुत सम्भावना है कि आपके रेफ्रिजरेटर के फ्रिजर में भी भोलेनाथ के दर्शन हो जाएं।🔻

अब आप ही तय करें कि क्या अमरनाथ की गुफा में बनने वाला शिवलिंग ईश्वर का चमत्कार है या वैज्ञानिक घटना। इस पोस्ट को शेयर कर दूसरों को भी जागृत करें क्योंकि बात श्रद्धा की नहीं, अंधश्रद्धा की है जिससे बचना बहुत जरूरी है।
अमरनाथ के शिवलिंग के पीछे का विज्ञान अमरनाथ के शिवलिंग के पीछे का विज्ञान Reviewed by Rajiv Singh on 11:00 PM Rating: 5

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